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नंदीघोष, तालध्वज, और दर्पदलन रथ यात्रा का महत्व
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नंदीघोष, तालध्वज, और दर्पदलन रथ यात्रा का महत्व

क्या आप जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा के तीन दिव्य रथ नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन का रहस्य? जानिए इन रथों का आध्यात्मिक महत्व और देवी-देवताओं से जुड़ी खास बातें!

नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ के बारे में

आपने रथ यात्रा के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन रथ यात्रा की सबसे अहम जानकारी छुपी है इन तीन रथों में, जिनकी कहानी न केवल रोचक बल्कि अद्भुत भी है। हर रथ की अलग कहानी, रंग, आकार, प्रकार और डिज़ाइन है। तो अगर आप जानना चाहते हैं इन रथों की खासियत और उनके नामों की रहस्यमयी कथा, तो इस लेख को जरूर पढ़ें!

रथ यात्रा क्या है? यह कहां और क्यों मनाई जाती है? तीनों रथ क्यों विशेष माने जाते हैं?

रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा है, जो हर साल ओडिशा के पुरी में मनाई जाती है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ को उनके मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) ले जाने के लिए होती है और इसका उद्देश्य पापों का नाश करने तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए होती है। यात्रा में तीन रथ होते हैं जोकि बहुत विशेष होते हैं। इसमें जगन्नाथ का रथ नंदीघोष, बलभद्र का तलध्वज और सुभद्रा का दर्पदलन होता है। तीनों रथों का एक साथ होना भाई-बहन के संबंध, शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। रथ यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है, जो समाज के हर वर्ग को जोड़ता है।

नंदीघोष रथ

रथ का रंग, आकार और विशेषता

नंदीघोष रथ, भगवान जगन्नाथ का रथ है, जिसे लाल और पीले रंगों से भव्य रूप से सजाया जाता है। यह तीनों रथों में सबसे ऊंचा होता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 44.2 फीट होती है। इसकी विशेषता यह है कि यह भव्यता में अद्वितीय है और इसके निर्माण में नीम और हांसी की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है, जो स्थायित्व और पवित्रता का प्रतीक मानी जाती हैं।

रथ की ऊंचाई, पहियों की संख्या

नंदीघोष रथ की ऊंचाई 44.2 फीट होती है और इसमें 16 बड़े पहिए होते हैं। प्रत्येक पहिए का व्यास लगभग 7 फीट होता है।

रथ का नाम “नंदीघोष” क्यों रखा गया?

नंदीघोष रथ का नाम भगवान शिव के वाहन नंदी से जुड़ा हुआ है। जोकि इस रथ की ध्वनि और महिमा को दर्शाता है।

इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

नंदीघोष रथ का धार्मिक महत्व गहरा है। इस रथ को खींचने के लिए शंखचूड़ा नामक रस्सियों का उपयोग किया जाता है। यह रथ भगवान जगन्नाथ के भव्य रूप का प्रतीक है और इसका उद्देश्य भक्तों को दिव्यता और पवित्रता का अनुभव कराना है।

तालध्वज रथ

इस रथ का वर्णन: डिजाइन, प्रतीक और ध्वजा

तालध्वज रथ भगवान बलभद्र का रथ है, जिसे मुख्य रूप से हरे और लाल रंगों से सजाया जाता है। इसका डिजाइन शक्तिशाली प्रतीकों और नागों की आकृतियों से सुसज्जित है, जो भगवान बलभद्र की वीरता और शक्ति का प्रतीक हैं। इस रथ पर एक ध्वजा भी होती है, जो बलभद्र के साहस और शौर्य को दर्शाती है।

"तालध्वज" नाम का अर्थ और उसकी प्रतीकात्मकता

तालध्वज नाम का अर्थ है ताल (तलवार) और ध्वजा। यह नाम बलभद्र के युद्ध कौशल और वीरता को दर्शाता है। उनका रथ बलभद्र की शक्ति और उनके शौर्य के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

किस मार्ग से यह रथ गुजरता है?

तालध्वज रथ, अन्य रथों के साथ ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा के दौरान गुजरता है। यह रथ मुख्य मार्ग से गुज़रता हुआ, भगवान जगन्नाथ और सुभद्रा के रथों के साथ एक ही मार्ग पर चलते हुए गुंडिचा मंदिर तक जाता है।

रथ की विशेषताएं

तालध्वज रथ की ऊंचाई लगभग 43 फीट है और यह 33×33 फीट के पर स्थापित होता है। इसमें 14 पहिए होते हैं, जिनका व्यास 7 फीट है। इस रथ को खींचने के लिए वासुकी नामक रस्सियों का उपयोग किया जाता है, जो इसे एक शक्तिशाली और पवित्र वाहन बनाती हैं। इस रथ पर बलभद्र के सारथी, मातली को चित्रित किया जाता है, जो रथ की यात्रा में उनका मार्गदर्शन करते हैं

दर्पदलन रथ

दर्पदलन नाम का महत्व ("अहंकार का नाश")

दर्पदलन का अर्थ है अहंकार का नाश। यह नाम देवी सुभद्रा की शक्ति और विनम्रता को दर्शाता है। यह रथ न केवल देवी सुभद्रा की महिमा का प्रतीक है, बल्कि यह अहंकार और घमंड को नष्ट करने की शक्ति का प्रतीक भी है।

सुभद्रा के रथ की विशिष्टता

इस रथ को भक्त काले और नीले रंगों से सजाते हैं। इस रथ की ऊंचाई लगभग 42 फीट होती है और इसका आधार 31.5×31.5 फीट है, जो इसे भव्य और प्रभावशाली बनाता है।

महिला शक्ति और रथ यात्रा में इसका स्थान

दर्पदलन रथ रथ यात्रा में महिला शक्ति का प्रतीक है। देवी सुभद्रा, जो भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की बहन हैं, का रथ इस बात को दर्शाता है कि महिला शक्ति भी समान रूप से दिव्य और महत्वपूर्ण है। जो महिला शक्ति और सम्मान का प्रतीक है और यात्रा में समान रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

रथ की विशेषताएं

दर्पदलन रथ में 12 पहिए होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का व्यास 7 फीट है। रथ को स्वर्णचूड़ा नामक रस्सियों से खींचा जाता है। इस रथ का सारथी अर्जुन हैं, जो देवी सुभद्रा के रथ को मार्गदर्शन करते हैं।

निष्कर्ष

जगन्नाथ रथ यात्रा के तीनों रथ अपनी-अपनी विशेषताओं और प्रतीकात्मकता के साथ न केवल भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की महिमा का प्रतीक हैं, बल्कि ये भारतीय संस्कृति, शक्ति और एकता का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं। हर रथ अपने-अपने देवता की विशेषताओं और साहस को दर्शाता है।

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Published by Sri Mandir·June 25, 2025

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